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हिमालय के अद्भुत रत्न का उद्भव: सी बकथॉर्न - स्वास्थ्य और आश्चर्य की गाथा 

हिमालय की महान चोटियों के बीच एक खजाना छिपा हुआ है, एक दुर्लभ और अद्भुत अनाज के दाने या कहें तो फल के रूप में, जिसका नाम है, सी बकथॉर्न, जिसे वंडर बेरी या लेह बेरी या लद्दाख गोल्ड के नाम से भी जाना जाता है। अपनी असाधारण पोषण क्षमता और चिकित्सीय गणों के कारण इसका बहुत मान है। इस जीवंत नारंगी रत्न ने यात्रियों और स्थानीय लोगों के दिलों और स्वाद इंद्रियों को मोहित कर लिया है। मेरी खोज की यात्रा में आप मेरे साथ शामिल हों क्योंकि हम सी बकथोर्न की अभिन्न दुनिया में गोता लगाकर इसके समृद्ध इतिहास और सांस्कृतिक विरासत का पता लगाएंगे और जानेंगे ऐसे असंख्य तरीके जिनसे यह स्व-पोषित जीवन और समग्र जीवन शैली में योगदान देता है। 

मैं लगभग 3 साल पहले सी बकथोर्न के संपर्क में आया जब मैं और मेरा दोस्त स्पीती,  हिमाचल प्रदेश की छिपी हुई घाटियों में एक पिकनिक स्थल की तलाश कर रहे थे।  हमने एक खूबसूरत बहते ताजे पानी की धारा के बारे में सुना था जहां हम स्नान कर सकते थे और  लकड़ी जलाकर खाना बना सकते थे। हमारी योजना इस स्थान को खोजने की थी।  मेरी दोस्त, येंगज़ोम और मैं 1:30 - 2 घंटे तक चढ़ाई चढ़ रहे थे जहां रास्ते में एक कांटे वाले पौधे में हम बार-बार उलझ जा रहे थे जिसके कांटे हमारी टांगो और शरीर के निचले हिस्से में चुभ रहे थे। 

 

हम बहुत खीज रहे थे और उन झाड़ियों को कोस रहे थे क्योंकि वे पूरे रास्ते में उगी हुई थी। जब हमने ध्यान से देखा तो उनमें छोटे नारंगी पीले दाने जैसे फल थे। पहले तो हम उन्हें चखने में झिझक रहे थे लेकिन जब  हमने चखा तो उनका स्वाद खट्टा था। वापसी पर यह दाने जैसे नारंगी फल कुछ हमने घर के लिए तोड़ लिए। हालाँकि उन्हें तोड़ना भी आसान नहीं था क्योंकि शाखाएं कांटों से भरी थीं। हम कुछ फल घर लाने में कामयाब रहे और जब हमने स्थानीय लोगों से उनके बारे में पूछताछ की तो हमें पता चला कि यह सी बकथोर्न था। यह भी पता लगा कि सी बकथोर्न यानी कि इन दानों में सुपर फूड के गुण होते हैं। यह वही चीज थी जो हिमालयन कैफे/होमस्टे आदि में चाय और जूस और जैम के रूप में बेची जा रही थी। 

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सी बकथॉर्न (हिप्पोफाइ रामनोइड्स) का मानव द्वारा उपभोग कई हज़ार वर्षों से हो रहा है। पारम्परिक तिब्बती और आयुर्वेदिक चिकित्सा में इसके अनूठे उपचारात्मक गुणों के चलते यह बहुमूल्य माना गया है। हिमालयी क्षेत्र में बहुतायत से पाए जाने के कारण इसका वहां की स्थानीय संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान है जहां यह कई नामों जैसे छारमा और लेहतर से जाना जाता है। इस दाने को शक्ति का भंडार माना जाता है। यह सी, ई और बीटा - कैरोटीन जैसे विटामिन का स्त्रोत है जो कि प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करता है और त्वचा को स्वस्थ्य रखता है। चूँकि शरीर के लिए आवश्यक वसा अम्ल जैसे ओमेगा 3, 6, 7 और 9 का भी यह अच्छा स्त्रोत है, यह शरीर को भीतर से पोषण देता है, जिससे ह्रदय स्वस्थ्य रहता है और कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित रहता है। 

पारंपरिक औषधियों में सी बकथोर्न कई बीमारियों में प्राकृतिक उपचार के रूप में प्रयोग होता है। इसके दानों से निकाला गया तेल महत्वपूर्ण एंटी ऑक्सीडेंट और सूजन रोधी गुणों के लिए अत्यधिक उपयुक्त माना जाता है। इस सुनहरे अमृत दाने का उपयोग घाव को भरने, सनबर्न में ठंडक प्रदान करने और उम्र के निशान मिटाने में होता है। सी बकथोर्न के तेल का सेवन पाचन प्रक्रिया में मदद करता है, सूजन कम और यकृत को स्वस्थ्य बनाता है। 

सी बकथॉर्न; फोटो शीतांश द्वारा

सी बकथोर्न अपने कई स्वास्थ्य लाभ के अलावा लम्बी यात्रा और पर्यावरण संरक्षण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह काँटों वाली उलझी सी झाड़ी जो कि  ऊंचाई पर मुश्किल और बंजर मैदानों में उगती है, मिट्टी के कटाव को रोकने में मदद करती है। इसकी जड़ें मिट्टी को सहारा देती है जबकि इसकी शाखाएं प्राकृतिक रूप से बहती तेज हवा में अवरोध पैदा करके ऊंचाई के नाजुक इकोसिस्टम की रक्षा में मदद करती हैं। सी बकथोर्न की खेती स्थानीय समुदाय के लिए अतिरिक्त आय का माध्यम है और पारंपरिक हिमालयी कृषि परंपरा को बचाने में मददगार भी है। 

 

सी बकथॉर्न के खट्टे और कुछ कसैले स्वाद ने पाक कला की दुनिया में ना सिर्फ अपना स्थान बनाया है बल्कि कई शेफ और भोजन के दीवानों का मन भी मोह लिया है। इस से बढ़िया जैम, शर्बत और सॉस तैयार होते हैं जो कि किसी भी व्यंजन को खिले रंगों से और ताजे अम्लीय स्वाद से भर देते हैं। सी बकथोर्न की चाय अपने स्फूर्ती दायक स्वाद के लिए पसंद की जाती है जबकि मिक्सोलॉजिस्ट इस हिमालयी रत्न से मजेदार कॉकटेल तैयार करने में लगे हैं। 

 

जब आप सी बकथॉर्न को उसके प्राकृतिक स्थान पर खोजने के लिए निकलें तो अपने आप को हिमालय की स्तब्ध कर देने वाली खूबसूरती में डुबो दें। लुभावने परिदृश्य के बीच चढ़ाई चढ़ें जहां पीछे दिखती बर्फीली चोटियों हैं और सामने चमकदार नारंगी फल शाखाओं से चिपके हुए दिखते हैं। स्थानीय समुदायों से जुड़ें और उनकी  पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही बरसों पुरानी सी बकथोर्न की कटाई और प्रसंस्करण की सम्मानित तकनीक को देखें जो उनकी स्व-पोषित जीवन पद्धति के प्रति मन की गहराइयों से तारीफ करने का कारण है। आपको सी बकथोर्न के फायदों को अपने रोजमर्रा के जीवन में शामिल करने के लिए हिमालय तक जाने की जरूरत नहीं है।  ऐसे उत्पादों को ढूंढिए जिनमें सी बकथोर्न तेल का इस्तेमाल होता है, जैसे कि त्वचा देखभाल के उत्पाद या सप्लीमेंट या शरीर में नई ऊर्जा के लिए और रोग-प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने के लिए इस्तेमाल होने वाले उत्पाद। अपनी पाक कला को नया आकर्षण देने के लिए और पौष्टिक गुणों से भरने के लिए सी बकथोर्न युक्त व्यंजनों और ड्रिंक्स के साथ नए प्रयोग करें। 

 

यह अनोखा सी बकथोर्न अपने आकर्षक रंग, उल्लेखनीय स्वास्थ्य लाभ और गहरी सांस्कृतिक जड़ों के साथ स्व-पोषित यात्रा और समग्र जीवन के लिए वास्तव में महत्वपूर्ण है। हिमालय और स्थानीय समुदाय में इसकी उपलब्धता के कारण यात्रियों को इस अद्भुत प्राचीन फल के अनुभव का अवसर मिलता है। हम चाहते हैं कि सी बकथॉर्न के प्रति आपकी उत्सुकता जागे और आपकी नई यात्रा शुरू हो, एक स्व-पूरक और स्वास्थ्य प्रेरक दुनिया की ओर।  

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लेखक का परिचय

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शीतांश

 

शीतांश हिमाचल से हैं और इन्हें सांस्कृतिक परम्पराओं और कहानियों में रूचि है। वे सांस्कृतिक उन्नति के लिए काम करने के प्रति उत्साहित हैं। फिलहाल NIFT दिल्ली में मास्टर्स ऑफ़ डिज़ाइन की पढ़ाई कर रहे हैं। स्पीति घाटी में कई साल तक कई सामुदायिक विकास प्रोजेक्ट में इन्होने सक्रिय भूमिका निभाई है। इनको ठंडे रेगिस्तान में अपनेपन की गर्माहट और स्वागत को आतुर लोगों से बहुत प्यार है जिस के चलते यह स्पीति बार-बार आते हैं। 

 

आप इनकी खोज से जुड़े रहने के लिए इनके दिए गए इंस्टाग्राम पेज पर इन्हें फॉलो कर सकते हैं - 

@allwaswell और @himalayansociety

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