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स्पीति का सबसे समृद्ध गाँव

मोरंग में सिर्फ पांच घर हैं, पर सब जानते हैं कि यह स्पीति का सबसे समृद्ध गाँव है। सब मेमे छुकपो की बदौलत। मेमे छुकपो स्पीति के सबसे चतुर व्यापारी थे। पैसे कमाने के छोटे से छोटे अवसर को मेमे बड़ी आसानी से सूंघ लेते थे। मेमे ने चांग्पा लोगों को कई याक बेचे थे और हर साल लवी मेले में उसके चुमुर्ती घोड़े सबसे ज्यादा कीमत में बिकते थे। व्यापार के लिए मेमे बहुत घूमते थे। वैसे तो मेमे का दिल बहुत बड़ा था, पर उन्हें कर्जा मांगने वाले लोगों से बड़ा डर लगता था। हमेशा कोई ना कोई उनसे कर्जा माँगने की ताक में रहता था। पर मेमे ने इस पेंच से निकलने की एक जोरदार तरकीब सोची हुई थी।

हर बार मेमे कहीं से सौदा कर के घर लौटते तो वो आसमान की तरफ देखते। अब अगर आप कभी स्पीति आए हो तो सबसे पहले आप की नजर में ये बात आएगी कि यहां आसमान में कितने कम बादल दिखते हैं। खासकर गर्मी में तो मुश्किल से इक्का-दुक्का बादल ही दिखेंगे। मेमे ऐसा एक अकेला बादल ढूंढते। फिर खर्चे के लिए कुछ पैसे अपनी जेब में रख कर वो अपनी सारी कमाई को बादल के नीचे एक गड्ढा बनाकर छिपा देते। मेमे ने सोचा कि गाँव में कौन सोच सकेगा कि उनकी सारी पूंजी बादल के नीचे रखी है। और किसी दिन पैसे की जरूरत पड़ी तो बस गड्ढा खोद लो... मेमे छुकपो पैसा कमाने में सारा जीवन इतना व्यस्त रहे कि उन्होंने जिंदगी की छोटी-छोटी खुशियों का मजा ही नहीं लिया था। ना कभी उगते सूरज को देखा... ना कभी किसी चिड़िया का गाना सुना। और तो और कभी ये भी गौर नहीं किया कि बादल खुले आसमान में कैसे चलते हैं।

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अब अगर कोई मेमे छुकपो से कर्जा मांगने आता तो मेमे मुस्कुरा देता और कहता, "भाई मेरे, मैं तुम्हारी मदद जरूर करता, पर क्या करूं घर में बिल्कुल पैसे नहीं हैं।" मेमे को इस बात की तसल्ली थी कि वो झूठ नहीं बोल रहे थे। उनकी सारी पूंजी तो बादलों के नीचे सुरक्षित थी। 

 

मेमे अपनी सारी जिंदगी इसी नुस्खे के सहारे जीते रहे और एक दिन मेमे चल बसे। उनकी सारी जमा पूंजी वहीं बादल के नीचे फंसी रह गयी। एक दिन गाँव के कुछ बच्चे खेल-खेल में गड्ढा बना रहे थे तो उन्हें पैसे से भरा झोला मिला। शायद मेमे छुकपो के कई झोलों में से यह एक था, जिसे उन्होंने बादल के नीचे छुपा के रखा था। 

 

मोरंग के पास कुछ लोग आज भी इसी आस में गड्ढा खोदते हैं कि उन्हें भी मेमे का छुपाया हुआ धन से भरा एक झोला मिल जाए!

मेमे एक उपाधि है जिसका उपयोग स्पीति में हर कोई अपने दादा या बुजुर्ग व्यक्ति को संदर्भित करने के लिए करता है।

 

चांग्पा शब्द चांगथांग के निवासियों के लिए प्रयोग किया जाता है। चांगथांग तिब्बत के उत्तरी भाग और लद्दाख के पूर्वी भाग का एक क्षेत्र है। चांग्पा एक खानाबदोश समुदाय है जो प्रसिद्ध पश्मीना पैदा करने वाली बकरियां पालने के लिए जाना जाता है। स्पीति के लोगों के साथ उनके प्राचीन व्यापारिक संबंध रहे हैं।

 

चुमुर्ती घोड़े स्पीति के घोड़े की एक स्थानीय नस्ल है। यह एक बहुत ही मजबूत प्रजाति मानी जाती है, विशेष रूप से उच्च ऊंचाई के लिए अनुकूलित।

 

लवी मेला एक वार्षिक व्यापार मेला है जो कई सदियों से रामपुर-बुशहर में आयोजित किया जाता रहा है। व्यापार मेले पूरे हिमाचल प्रदेश में बहुत लोकप्रिय थे और अब भी हैं।

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