मोमो पार्टी
उस दिन लालुंग के लोग बड़े ही असमंजस में थे। आम तौर पर इस गाँव में जीवन बड़े आराम से चलता था, पर आज नहीं। पता नहीं चल रहा था कि हुआ क्या था। मैंने अपने पड़ोसी, सोनम छेरिंग से पता किया।
“गाँव वाले आज याक देखने जा रहे हैं। सारे याक कल किबरी के बड़े मैदान में थे। याकज़ी ने खुद याक के झुंड को वहां देखा था। कल शाम को वो भागते हुए लौटे थे और चिल्ला रहे थे कि एक याक पागल हो गया है।“ ऐसा कह कर वो ज़ोर ज़ोर से हंसने लगा। इन गाँवों में लोग भेड़, बकरी, गधे, घोड़े और गाय पालते थे। लेकिन कई कारणों से सबसे महत्वपूर्ण जानवर याक था। तगड़ा याक खेतों की जुताई के लिए एक उत्कृष्ट सहायक था। याक की ऊन और याक का गोबर अत्यधिक सर्दियों के महीनों में गर्मी का एक अनमोल स्रोत थे। और नसीब से अगर आपके याक की पूंछ सफेद निकली तो पूंछ की ही कीमत कम से कम 10,000 रुपये थी। टकपा—हमारे एक अन्य पड़ोसी—ने हाल ही में मनाली के एक व्यापारी से एक याक खरीदा था। इस बूढ़े याक ने अपनी पूरी जिंदगी पर्यटकों के साथ तस्वीरें खिंचवाने में बिताई थी। जिंदगी भर उसके मालिक ने उसे माल रोड पर खड़ा करके रखा था और वहीं उसे सुबह-शाम खाना दे दिया करता था। पर स्पीति में याक को ऊंचे पहाड़ी मैदानों पर खुला छोड़ दिया जाता है ताकि वो मजे से खुद घास चर सके। इस तरह स्पीति में याक को दिन भर घास ढूंढते हुए चलना पड़ता है। अब इन याक महाशय को चलने की बिलकुल आदत नहीं थी। वो दिन भर एक जगह चौकड़ी जमा कर बैठा रहता, फिर भले ही भूखा रहना पड़े। भूख की वजह से वो चिड़चिड़ा सा हो गया। ऐसे में कोई अगर गलती से उसका रास्ता काट देता तो वो उसे सींग मारने उसके पीछे पड़ जाता। कल बिचारे याकज़ी की बारी थी, पर वो बाल-बाल बच गए। इसलिए आज गाँव के मर्द इस बूढ़े याक को पकड़ने की तैयारी कर रहे थे। उसे पकड़ने में गाँव के लोगों को पूरा दिन लग गया।
गाँव में लाकर याक को थांगरा में बंद कर दिया गया ताकि वो फिर से किसी को तंग ना करे। उस दिन से मैं रोज याक को अपनी खिड़की से देखता था। जब भी वो मुझे देखता तो अपने दांतों को रगड़कर एक अजीब आवाज निकालता था। कुछ दिनों में मैं दिन या रात के किसी भी समय उस अजीब आवाज़ को सुनने का आदी हो गया था।
फिर एक शाम जब मैं गाँव पहुंचा तो गाँव में खुशी की एक लहर थी। “आज मोमो पार्टी है, सब के लिए मीट मोमो बने हैं,” सोनम छेरिंग ने बताया। मोमो तो सिर्फ खास मौके पर बनाए जाते थे। सब ने मन भर के मीट मोमो खाए। मोमो खाकर मैं और सोनम छेरिंग घर की तरफ निकल गए । चांदनी रात थी। जैसे ही हम घर के पास पहुंचे मुझे अचानक से लगा जैसे कुछ लापता था। “याक कहां चला गया”, मैंने चौंक कर पूछा। “वो हमारे मीट मोमो का मीट बन गया”, सोनम छेरिंग बोला। सोनम के चेहरे पर शरारत भरी मुस्कान थी। मेरे पेट में थोड़ी हलचल हुई। एक पल के लिए ऐसा लगा मानो याक मेरे पेट के अंदर अपने दांत रगड़ रहा हो!
लालुंग स्पीति में लिंगती घाटी के अंदर का एक गाँव जो स्पीति नदी के बाएं किनारे पर पड़ता है।
किबरी लिंगती घाटी के अंदर का एक छोटा सा गाँव जहां केवल पैदल ही पहुंचा जा सकता है।
याकज़ी एक याक चरवाहा। पहले स्पीति के अधिकांश गाँवों में याकजी हुआ करते थे।
माल रोड अधिकांश हिल स्टेशनों पर मुख्य बाज़ार सड़क, जहां पर्यटकों के लिए बहुत सारे आकर्षण देखने को मिल सकते हैं।
थांगरा घरेलू पशुओं को रखने के लिए बनाया गया एक छोटा सा बाड़ा। आमतौर पर थांगरा किसी के घर के ठीक बाहर बनाया जाता है।
मोमो भाप में पकाये हुए एक प्रकार के भरवां पकौड़े। यह हिमालयी क्षेत्र का बहुत लोकप्रिय व्यंजन है और आमतौर पर विशेष अवसरों पर बनाया जाता है।